शनिवार, 19 मार्च 2016

व्योमेश चित्रवंश की डायरी 19 मार्च 2016

19 मार्च 2016, शनिवार
कल लिये गये संकल्प के हिसाब से जीवनचर्या बनाने का प्रयास प्रारंभ किया. सुबह भिगोई मेथी व उसके पानी से शुरूआत, फिर पूरे एक घण्टे योगाभ्यास व प्राणायाम, मजा आ गया, एक लंबे अरसे के पश्चात तन व मन प्रसन्न व प्रपुल्लित महसूस हुआ. कचहरी बार कौंसिल के आह्वान पर मौन विरोध व न्यायिक कार्यो से विरत रही, एक पखवाड़े के पश्चात कोटेश्वर महाबीर भी जाना हुआ.
टी२० के वर्ल्ड कप मे आज भारत पाक मैच है,रोमॉच बना हुआ है पाक के ११९ के टार्गेट को कोहली व घवन तेजी से पीछा कर रहे है,
वज्रासन मे दिन भर के कार्यक्रम का पुनरीक्षण करने के पश्चाच पुस्तक पढ़ने पर ज्यादा समय की जरूरत महसूस हो रही है.

व्योमेश चित्रवंश की डायरी 18.03.2016

18मार्च 2016, शुक्रवार
 कल दसियो दिन बाद ग्राउंड गया, तो रात मे जल्दी ही सो गया, सुबह उठने परताजगी के साथ मौसम व अखबार का जायजा लिया. थोड़ी देर धूप मे किताबे पढ़ने का सुख फिर कचहरी, उम्मीद के अनुरूप हड़ताल व शोक प्रस्ताव पर मिला जुला असर दिखा, एक लंबे अरसे के बाद गुरू जी के यहॉ जाना हुआ. ढेर सारी बाते व आत्मसंतोष का अपना एकअलग सुख है
.न्यास व सोसाइटी के लोग अपने अपने स्तर से अपने प्रयासो मे लगे हुये है. दो पुस्तको को पढ़ने की बड़ी बलवती ईच्छा है कुर्तलुन एन हैदर की आग का दरिया व भगवान सिंह का अपने अपने राम. नेट पर सर्च कर के दोनो पुस्तको को अपने आनलाईन परचेजिंग कार्ट मे सहेज लिया है पर अभी पहले की बिनपढ़ी पुस्तके ही शेष है, नेट के वजह से वो बिलंबित कार्यसूची मे शामिल हो गई है, इसे रोकना है.
कल से किताबे पढ़ने की सूची को प्राथमिकता देना होगा.

बुधवार, 16 मार्च 2016

व्योमेश चित्रवंश की डायरी 16 मार्च 2016, बुघवार

 १६ मार्च २०१६, बुधवार
सुबह का मौसम साफ पर ठण्ड लिये हुये था, देर तक धूप मे बैठ अखबार और tough times never gone but tough people do it पढ़ता रहा. कड़ी धूप मे तेज हवा वातावरण को अपने ढंग से समायोजित करती रही.
कचहरी मे उम्मीद के अनुरूप प्रतापगढ़ मे कल हुये अधिवक्ता के हत्या के विरोध मे हड़ताल रही. छिटपुट कामो के बीच उपभोक्ता फोरम जाना पड़ा. वहॉ हड़ताल का कोई असर नही दिखा. नये पीठासीन अध्यक्ष के पदासीन होने के बाद  फोरम की कार्यपद्धति मे आमूलचूल परिवर्तन हुये है. जिनका असर अब दिखने लगा है.  परवेज मियॉ को जनवरी व फरवरी का एसीसी वाल्यूम १ बाइंडिग के लिये वापस किया, थोड़ी समय बिताने के पश्चात ३ बजे के आसपास घर वापसी पर अधूरी किताब को पढ़ना जारी रखा. दूबारा पढ़ने व गुनने मे समय लगना स्वाभाविक है, नेट पर बहुप्रतिक्षित दिनकर जी की संस्कृति के चार अध्याय दिखी तो उसे भी डाउनलोड किया, अगला क्रम संस्कृति को समर्पित.
देर शाम प्रदीप भाई आ गये. उनके साथ देर तक दुनिया जहॉ की बाते होती रही और इस अलस भरे मौसम का एक दिन और बीत गया.

मंगलवार, 15 मार्च 2016

व्योमेश चित्रवंश की डायरी 15 मार्च 2016

15 मार्च 2016,  मंगलवार
सुबह कुछ थुंथ के साथ मौसम की शुरूआत हुई, फिर दिन भर मौसम साफ ही रहा और मन भी . कल के बजाय आज मन स्वस्थ व सामान्यतया सहज था.
आज प्रदूषण पर एक  विचार मन मे आया, हम रोज ब रोज रीफिल पेन का इस्तेमाल करते है और उपयोगपरान्त उन रीफिल्स को कूड़े मे फेंक देते है जो बाद मे प्रदूषण का एक बड़ा जरिया बनते है, यदि हम औसतन एक रीफिल एक हफ्ते मे खर्च कर फेंक देते है तो लगभग एक करोड़ रीफिल हर माह घूरे देश मे कूड़े पर जाता है जो अप्रयोज्य व बेकार होकर प्रदूषण बढ़ाने मे जिम्मेदार है, इस लिये हमे यूज एण्ड थ्रो रीफिल के बजाय बार बार उपयोगी होने वाले कलमो का प्रयोग करना होगा.
इसी क्रम मे हम आज से यह संकल्प लेते है कि आज से हम ऱीफिल पेन के बजाय फाउंटेन पेन व रियूजफूल कलमो का प्रयोग करेगे, उसी क्रम मे काफी दिनो से रखे अपने मित्रो से उपहार मे प्राप्त दो पार्कर कलमो को ठीक ठाक किया, लिखने का एक ऩया अनुभव लगा,
शाम डा० अरविन्द के यहॉ गुजरी पर फिर टी२० के मैच के चक्कर मे मंदिर नही जा पाये. हालॉकि मैच देखना बेकार ही रहा, न्यूजीलैण्ड ने हमे ४७ रनो से हरा दिया. पढ़ रहे tough times never gone but tough people do it से एक लाईन याद आयी every problem hold positive possibilities सच लगा खेल के लिये भी और जीवन के लिये भी......

सोमवार, 14 मार्च 2016

व्योमेश चित्रवंश की डायरी १४ मार्च २०१६

१४ मार्च २०१६, सोमवार
आज सुबह से ही मौसम खराब था, मौसम के साथ मन भी अशान्त था, बेमौसम के बरसात व ओलावृष्टि से किसानो के साथ हुये अनयाय से प्रकृति के प्रति थोड़ी नाराजगी हुई, कचहरी पर भी बेमौसम के मार का असर दिखा, वही एक अधिवक्ता बंधु सूर्य नाथ यादव जी के असामयिक निधन से खिन्नता और बढ़ी, डॉ० अरविन्द भैया के आने से माहौल मे थोड़ी सी तब्दीली आयी़ बाद मे सूर्यभान भाई के साथ ले० कर्नल एस एम सिंह से मिलने यू पी कालेज गये तो वहॉ छात्रसंघ उद्घाटन के नाम पर चेहरा दिखाने छुटभैय्यो की भीड़ व नेताओ का जमावड़ा मिला. कभी कभी लगता है कि मायावती का शासन ही सही था जब कालेज विश्वविद्यालयो के परिसर मे छात्रसंघ बैन था और पढ़ाई का माहौल बना हुआ था पर आज?
एनसीसी कार्यालय मे कर्नल बहादुर सिंह से परिचय हुआ. जालंघर के निवासी सिख रेजीमेण्ट के कर्नल सिंह शानदार स्वभाव के लगे.
सूर्यभान को आज ही दिल्ली जाना है फिलवक्त शाम को टहलने का कार्यक्रम स्थगित. मौसम मे तब्दीली नही फिर भी बरसात बंद है. देश की राजनीति आरोपो प्रत्यारोपड़ जारी है. कनु की गणित की परीक्षा हो गई़ उसका भय समाप्त हुआ.
राबर्ट एच शूलर की tough times never gone,  एक बार फिर पढ़ रहा हँ, अच्छा

अहसास हो रहा है तो उसे पचाने के लिये.