गुरुवार, 20 जून 2013

लगभग दो माह बीतने के बाद भी शिवपुर वाराणसी की की पुलिस द्वारा मुक़दमा अपराध संख्या 86/2013 धारा 419/420/467/468/471 IPC में दर्ज ऍफ़ आई आर पर कोई कार्यवाही न करने और दोषी को गिरफ्तार न किये जाने के सम्बन्ध में


माननीय पुलिस महा निदेशक  महोदय,

            मै प्रार्थी व्योमेश कुमार श्रीवास्तव चित्रवंश , एडवोकेट  मुक़दमा अपराध संख्या 86/2013 अंतर्गत धारा419/420/467/468/471 थाना शिवपुर वाराणसी का मुक़दमा वादी हूँ . उक्त मुक़दमा सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव पुत्र स्व० गणेश लाल निवासी म०न० शिव 3/18 B-1K-2P शारदा विहार कालोनी , मीरापुर बसही  थाना शिवपुर  जिला वाराणसी   के विरुद्ध शिवपुर थाने की जाली मुहर और थाने  के दरोगा उदय प्रताप सिंह के फर्जी हस्ताक्षर बना कर एक कूट रचित आख्या का प्रयोग माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में प्रकीर्ण दांडिक प्रार्थना पत्र  संख्या 14766 सन 2012 सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव प्रति उत्तर प्रदेश राज्य  अंतर्गत धारा  482 द०प्र०स० में शपथ पत्र पर संलग्नक  संख्या 9 पृष्ठ संख्या 56-59 के रूप में दाखिल किया गया . पुनः उसी कूट रचित आख्या  को  माननीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अधीक्षक महोदय के  में शिकायती  पत्र संख्या  CST/RTR 876  सन 2012  में भी संलग्नक के रूप में प्रस्तुत किया गया . इस सम्बन्ध में कई बार थाना शिवपुर से लेकर माननीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय के कार्यालय   में  मुझ प्रार्थी द्वारा एवं  दि   सेन्ट्रल बार एसोसिएसन वाराणसी  के  माध्यम से पत्र प्रेषित किये जाने  के बावजूद कोई   कार्यवाही नहीं हुई .

               अंततः    माननीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अधीक्षक महोदय को   ई मेल दिनांक 17 अप्रैल 2013 को  भेजे  जाने पर उनके आदेश से थाना शिवपुर में उक्त मुक़दमा दोषी के विरुद्ध  दिनांक 20 अप्रैल 2013 को पंजीकृत किया गया .

            परन्तु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि  शिवपुर थाना पुलिस इस सम्बन्ध में आज तक उदाशीन है और अभी तक  शिवपुर थाना पुलिस द्वारा इस फर्जीवाड़े के दोषी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गयी   .अभी तक इस सम्बन्ध में मुझ प्रार्थी  का बयान  तक नहीं अंकित किया गया है . दोषी व्यक्ति अजमानतीय और आजीवन कारावास तक के धाराओ  के दोषी होने के  खुले आम घूम रहा है, और मुझ प्रार्थी पर बार बार मुक़दमा  वापसी  के लिए दबाव   बनाते हुए धमका  रहा है.   ऐसे में आरोपित व्यक्ति द्वारा मेरे साथ  भी कोई अनहोनी की जा सकती है. 
        आरोपी व्यक्ति एक  आपराधिक प्रकृती  का व्यक्ति है वह  पूर्व में भी थाना मंडुआडीह वाराणसी से मु०अ०स०114सन 1982  अंतर्गत धारा 420 IPC राज्य प्रति शिव प्रताप व् अन्य में आरोपित रहा है. साथ ही साथ वह  थाना कैंट  वाराणसी से मु०अ०स० 313सन1988अंतर्गत धारा323/504 IPC व्  मु०अ०स०64सन1998 में आरोपित रहा है. उसके इसी तरह के  आचरण पर उसे कृषि विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा दिनांक 18-07-1979 को सेवा से पृथक कर  दिया गया था, बाद में भी उसे कई बार विभाग से प्रतिकूल प्रविष्ठी  और निलंबित किया गया था, उसके साथ गांठ आपराधिक लोगों से है  वह प्रार्थी के साथ कोई भी घटना करीत करा सकता है. 

          जबकि थाना शिवपुर द्वारा जानबूझ कर इस तरह के आपराधिक व्यक्ति को न तो आज दो माह  बीतने के पश्चात भी न तो गिरफ्तार किया गया न ही मुकदमें में कोई अग्रिम कार्यवाही ही की गयी .जब की मुकदमे से सम्बंधित सभी आवश्यक अभिलेख थाना शिवपुर और  वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक  कार्यालय से सम्बंधित और उपलब्ध है . ऐसे में थाना शिवपुर के  मंशा पर सवाल उठाना स्वाभाविक है. 
                 जब कि  माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा इस प्रकरण में क्रि ० मि ० रिट  संख्या 11563 सन 2013में अभियुक्त उपरोक्त  की याचिका दिनांक 6-6-2013 को याचिका में हस्तक्षेप न करने की आवश्यकता न  हुए पाते  हुये ख़ारिज की जा चुकी है.  माननीय उच्च न्यायलय का  निर्णय निम्न है 

 Court No. - 21
Case :- CRIMINAL MISC. WRIT PETITION No. - 11563 of 2013

Petitioner :- Surendra Kumar Srivastava
Respondent :- State Of U.P. And 2 Others
Counsel for Petitioner :- Taru Ropanwal,Abhishek Srivastava
Counsel for Respondent :- Govt. Advocate

Hon'ble Arun Tandon,J.
Hon'ble Manoj Kumar Gupta,J.

Supplementary affidavit has been filed today. It is taken on record.
Heard the learned counsel for the petitioner and the learned AGA.
This writ petition has been filed by the petitioner for quashing the FIR dated
20.4.2013 in case crime no. 86 of 2013 under sections 419, 420, 467, 468, 471
IPC, PS - Shivpur, District - Varanasi. 
From the perusal of the FIR, it appears that on the basis of the allegations made
therein the prima facie cognizable offence is made out. There is no scope of
interfering in the FIR. Therefore, the prayer for quashing the FIR is rejected.

The writ petition is dismissed.
 
(Manoj Kumar Gupta,J.)    (Arun Tandon,J) 

अतः  माननीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अधीक्षक महोदय से प्रार्थना है कि  उक्त मुकदमे की विवेचना किसी उछाधिकारी से करवाने और दोषी व्यक्ति को तत्काल गिरफ्तार किये जाने हेतु आदेश  करे ताकि प्रार्थी के साथ कोई अनहोनी न हो. 

 प्रार्थी 
व्योमेश कुमार श्रीवास्तव चित्रवंश , एडवोकेट

--  VYOMESH K.S.CHITRAVANSH,
Advocate
Dr. Rajendra Prasad Adhivakta Bhawan
Collectrate Court ,Varanasi -221002 India
Cell. 9450960851; 9198193851