मंगलवार, 16 जुलाई 2013

मेरा ध्यान / व्योमेश की कवितायें



ध्यान
आत्मविलोकन, आत्मनिरीक्षण 
गहन श्वॉस अन्तरतम तक विश्रान्ति
एक सतत प्रक्रिया
और अद्वितीय अप्रतिम अनुभव
शांत शांति और परम शांति
मै प्रयास करता हूँ
शवासन नेत्र बंद त्रिकूट पर संक्रेन्द्रण
बस यहीं खो जाता है
इधर उधर फिसल जाता है मेरा स्व
कभी त्रिकूट पर तो कभी आग्या चक्र मे
या तो गहन अंधेरे मे ही डूबता जाता है
और गहन
नही दिखता उसे कहीं प्रकाश
उसे दिखता है बढ़ती मँहगाई
बच्चो के हर महीने बढ़ते स्कूली खर्चे
पूरे घर मे खिलखिलाती बेटी का बढ़ता कद
रात फिर बढ़ गयी पेट्रोल की कीमतें
मै घबरा कर ऑखे खोल लेता हूँ
और नासाग्र पर केन्द्रित होता हूँ
खुले नेत्रों से
पर खुली ऑखो से दुनिया दिखती है
दिखती है ढेर सारी फाईलें
उनमें से झॉकती तारीखे
बाहर सड़क पर चल रहा काम
शायद आज भी पूरा न हो सके
दिखती है कमरे मे बिजली नही
और चलता पंखा जलती बत्तियॉ
आज भी ईन्वर्टर डिस्चार्ज हो जायेगा ९ बजे
मै पुन: ऑखे बँद बंद कर लेता हूँ जल्दी से
भ्रामरी मुद्रा अपना लेता हूँ
ऑख बंद कान बंद और होठ भी बंद
मन को तेजी से उतारता हूँ
अंतस की गहराईयों मे
पर अंतस तक उतरने से पहले ही
आते है याद
मोबाईल पर आये ढेरो मैसेज एलर्ट
मेडिकल ईश्योरेन्स की लास्ट प्रिमियम डेट
डिस कनेक्शन रिचार्ज कराना है
गाड़ी ईश्योरेन्स रविवार को खत्म होगा
मकान टैक्स जमा करने पर छूट है इस महीने
एटीएम एकाउण्ट मे भी पैसे डलवाने है
और
मेरा ध्यान अन्तर्धान हो जाता है
मै वर्तमान मे लौट आता हूँ
वापस बिना किसी प्रयास व विलम्ब के
शायद मेरा आत्मनिरीक्षण यही है
और यही है मेरा सतत ध्यान.....
-व्योमेश १५.०७.१३ सोम

एक और सॉझ ढल गयी /व्योमेश की कवितायें

और
एक और सॉझ ढल गयी
आहिस्ता आहिस्ता
आँखों मे उदास सपने लिये
कभी खुली आँखों में तो
कभी बंद पलकों में
पर सभी सपनों का रंग
फीका फीका एक जैसा
दर्द और पीड़ा से भरा
पर उस विवसता के पीछे
एक अकुलाहटऔर बेचैनी
कुछ करने की कुछ कर गुजरने की
पर मन ही सब कुछ नही होता
क्योंकि मन को तन का
वास्तविक बोध नही होता
कसमसाहट में बंद पलको के
कोरों मे सिमट आई नमी
बावजूद मानस केअन्तर से
उठती है आवाज
यह अंधेरा छँट रहा है
कल आने वाली सुबह के लिये.......
-व्योमेश १४.०७.१३ रविवार

मेरा गॉव /व्योमेश की कवितायें

मेरा गॉव 
मुझे बुलाता है 
भेजता है ढेरों संदेशे
बारिस की पहली फुहारों से
माटी की सोंधी अलसाई गंधों में
नीम के कोमल छाल से बनें
सूखे सफेद मंजनों में
आम के फलों और जामुन के
साफ्ट ड्रिंक के खूशबू मे
मंदिर के प्रसाद मे मिले
तुलसी की दो चार पत्तियों में,

मेरा गॉव 
भेजता है संदेशे उलाहने के साथ 
शुरूआती बरसात से सज चुके
पथरी और दूब भरे मैदानों से
सिधरी,घोंघा, भूजी कोसली से
करेमू व सनई के सागों से
चिलबिल,टिकोरा, अमरूद की ढोढ़ी से
कबड्डी, सुटुर पटर के पढ़ाई से
पचैँया के दंगल बिरहा के बोलों से

मेरा गॉव
जगा देता है मुझको अपनी 
अनभूली यादों में
गरजते बादल और चमकती बिजलियों मे
टिपटिपाती बूँदों से भर आये 
धान रोपे खेतों मे
मेढकों सहित उफनाये ताल तलैयों मे

मेरा गॉव 
गुदगुदाता है मुझको
फागुन मे बिखरे रंगो मे
प्यार भरें गालियों और चुहलबाजियों मे
चैता फगुआ के संग 
होरहे की अधपकी बालियों मे
किलकती हँसी और झूले पर
बल खाती हँसती हुई कजरियों मे

मेरा गॉव
शिकायत करता है मुझसे
कैसे रहते हो तुम
इन भीड़ भरी सड़कों मे
एक दूसरे को नीचा दिखाने मे लगी
इन बड़ी बड़ी बिल्डिंगो मे
बेमतलब ही भाग रहे लोगो मे
और एक दूसरे से जूझ रहे झूठो मे

मेरा गॉव
मनुहार करता है
आओ चलो फिर वहीं चलते है
खेत की मेड़ो पर बैठ 
ईख चूसेगें
पगडण्डियों पर चलते
चौधरी चच्चा के चने खायेगें
मछलियॉ मारेगें और 
पेड़ की फुनगियों पर
निशाना लगायेगें
यह तो पक्का है
अभी भी तुम ही जितोगे.

मेरा गॉव 
पकड़ लेता है मेरा हाथ
ठीक है वहॉ कुछ भी नही है
पर वहॉ तुम खिलखिलाओगे तो
माना वहं कारें नही है पर तुम 
मेरे बुलाने पर दौड़े आओगे तो
यहॉ है तुम्हारे पास वह सब कुछ
जिसकी जरूरत है शहर वालों को
पर नही है तुम्हारी मुस्कराहट
जो नाचती थी बेमतलब ही तुम्हारे होठो पर
बिना उसके तुम अधूरे से लगते हो
बिलकुल खाली खाली लूटे पिटे जैसे

मेरा गॉव 
बाहर बैठा है मुझे ले जाने को वापस
उसे इंतजार है मेरे साथ चलने का

और मै
छुपता फिर रहा हूँ
कि कहीं उससे सामना ना हो जाये..... 
-व्योमेश १५.०७.१३ सोमवार

शनिवार, 13 जुलाई 2013

अतिक्रमण के बोझ से पीड़ित पंचकोसी सड़क.......(शिवपुर से पाण्डेपुर तक)



पंचकोसी रोड तरना के पास शहर में प्रवेश करती है. 

-जमुना सेवा सदन से भारतीय शिशु मन्दिर तक सड़क का एक सिरा किसी न किसी तरह प्राईवेट सम्पत्ति के रूप मे उपयोग किया जा रहा है. अतिक्रमणकर्ता हास्पिटल से लगायत थाना शिवपुर ,गैस एजेन्सी विद्यालय मन्दिर के पुजारी तक है यह अलग बात है कि भीड़भाड़ वाली जगह न होने के कारण शिकायत कम ही लोगो को है.

- शिवपुर बाजार मे घुसते ही पंचकोसी की सड़क कही खो जाती है दुकानो के बाहर रखे सामानों के नीचे कहीं ढूढ़ना पड़ता है.

- लालजी कुँआ से लेकर बाईपास मोड़ तक बेचारी सड़क कहीं गली ते कहीं आँगन का बोध कराती है उस पर से ठेले वाले और बाईपास ठीके के मदिरा प्रेमी साल के ११ महीने इसका (दुर) उपयोग घर के पिछवाड़े की तरह करते हैं.

-बाईपास मोड़ (लोकनायक जय प्रकाश पार्क) के निकट पंचकोसी मार्ग का प्रयोग एक प्राईवेट नामी स्कूल के बसों के पार्किंग के लिये होता है.

- बाईपास मोड़ से यू पी कालेज के बीच पंचकोसी रोड की खूब बंदरबाट हुयी. गिलट बाजार यादव बस्ती तो अपने उत्तर २ से ४ फीट ही खिसकी परन्तु शिव मंदिर से पूरब बढ़ने पर राजर्षि नगर के वासिन्दों ने इसका उपयोग अपनी फूलवारी और बागवानी के लिये करना शुरू कर दिया है. नवरचना स्कूल से पूरब बढते हुये मकानों की बढ़ती नई बाउण्ड्रीयॉ अतिक्रमण की उपनिवेशिक परिभाषा बताती है.

-राजर्षि नगर कालोनी और भोजूबीर के बीच ही पूर्व सभासद के घर के पास ही हाल के वर्षों से एक नया मंन्दिर विकसित किया जा रहा है. पंचकोसी रोड के उत्तर के स्थान का अतिक्रमण कर के निर्मित हो रहा यह मन्दिर यातायात मे भले अवरोध वने पर अपने खास भक्तो को तो फ्री मे कीमती जमीन दिला ही देगा.

-भोजूबीर चौराहे पर आढ़तियों के ठेले और पूर्वी हिस्से मे बीयर शाप, चाट की दुकाने , आटो गैरेज और अवैध आटो स्टैण्ड के चलते हरदम लगता है जाम.

- जरा सा आगे बढते ही सत्ती माई ने किया कब्जा. - आठ साल पहले तक ग्रामदेवी सत्ती मॉ का ६*६ का चबूतरा सड़क के एक किनारे लोगो के लिये शक्तिदायी व पूजनीय था. रातोरात वह चबूतरा मंन्दिर मे कैसे और किसके द्वारा बदला ? यह विवेचना का विषय है, हॉ मन्दिर बनने का लाभ पड़ोसी गण को यह मिला कि उनके उपयोग के लिए काफी जमीने मिल गयी.

-डा० आर जे सिंह के ठीक सामने दूसरी पटरी पर शुरू होती है टैगोर टाऊन कालोनी. बड़े लोगों की कालोनी कही जाती है यह. कालोनी के उत्तरवासियों को ५० -६० फीट चौड़ी पंचकोसी सड़क बेमतलब लगी तो उन लोगों ने उसका (सही?) उपयोग अपने घरों की चाहरदिवारी मे मिला कर किया.
मजा यह है कि ये सभी लोग जिम्मेदार पढ़े लिखे कानून से वाकिफ लोग है जो बड़े सरकारी पदों पर है या सेवामुक्त है.

-कमोबेश भुवनेश्वर नगर की भी हालत ऐसी ही है.

- महाबीर मंन्दिर पर तो सड़क १२-१५ फीट भी बमुश्किल बच पाती है. मंगल व शनिवार को यहॉ जाम लगना स्वाभाविक पहचान बन चुका है. जबकि यहीं पर लोक लेखा समिति के अध्यक्ष व वाराणसी के सांसद डॉ०जोशी का घर है.
पहले यहॉ ऐसा नही था. महावीर जी का मन्दिर सड़क छोड़ कर लाल बरामदे से शुरू होता था तो सामने वाला कस्तूरबा विद्यालय भी अपने मुख्य भवन के गेट से. राजनेताओं के गुरूत्व के प्रभाववश मंन्दिर अपने स्थान से १० फीट आगे बढ़ा तो सामने विद्यालय भी बढ़ चला. इन दोनो के होड़ मे पिस के रह गयी सड़क. पास पड़ोस वाले भी लाभ मे रहे. परिणामत: आज ३ बैंक एटीएम , ३मिठाई की दुकानें, एक नर्सिग होम. ३ मोबाईल शाप स्थायी रूप से सड़क पर काबिज है. शेष बची सड़क पर फल ,मालाफूल और फुटकर दुकाने यातायात को दुरूह बनाने के लिये पर्याप्त हैं.

महावीर मंन्दिर से पूरब बढ़ने पर हालत अभी नियंत्रण मे है पर कब तक कहना मुश्किल है
क्योंकि इधर की खुली पंचक्रोसी रोड पर स्थानीय लोगों की निगाहे पड़ चुकी है. पागलखाना मोड़ के पहले एक ढाबे से यह शुरूआत कहॉ जा कर रूकेगी? दीनदयाल हास्पिटल की पटरी पर दो चार ढीहे और मन्दिर बना कर अतिक्रमण की कोशिसें जारी है.

बैंक कालोनी मोड़ से पाण्डेपुर तक भी अतिक्रमण के चलते सड़क दुबली दिखती है़

क्या प्रशासन अपनी ईच्छाशक्ति से पंचक्रोसी रोड को मुक्त करा सकेगा? यह यक्ष प्रश्न ज्यों का त्यों है..........

वरूणापार के अतिक्रम

कुछ दिन पहले वाराणसी पुलिस ने अपने फेसबुक पर अतिक्रमण से सम्बन्धित सूचनायें देने का आग्रह किया था. वरूणापार के अतिक्रमण पर हम भी कुछ जानकारी उपलब्ध करा रहे है इस उम्मीद के साथ कि बिना किसी भेदभाव व राजनीति के संभवत: ये स्थान मुक्त हो सकेगें.
- गिलट बाजार पुलिस चौकी - १०*१० में बने चौकी के बाहर पुलिस द्वारा लगभग आधी सड़क पर अतिक्रमण.

-भोजूबीर चौराहा - विशाल मेगामार्ट, स्पेंसर , ३ बड़े नर्सिंग होम, ६ डाक्टर , १ बेकर्स और टैम्पो स्टैण्ड के चलते हमेसा जाम.
जबकि विशाल और नर्सिंग होम के अपने पार्किंग होने के बावजूद उनका उपयोग नही.

-कचहरी गोलघर चौराहा- पुलिस चौकी कचहरी द्वारा आधे से अधिक चौराहे का अतिक्रमण.

- स्टेट बैंक मुख्य शाखा के सामने - दोनो पटरियों पर अवैध ठेले वाले, साइकिल स्टैण्ड वालों का अतिक्रमण.
नगर निगम का बस स्टैण्ड भी फल की दुकानों के गिरफ्त में

- वरूणापुल- जालान द्वारा कब्जा,अम्बेदकर मूर्ति के तीन तरफ स्टैण्ड.
शास्त्री घाट को भी स्टैण्ड बनाया जालान ने.

-अर्दली बाजार - पूरे मार्केट मे कही भी पार्किग नही. अवैध वेण्डरों और सड़कों पर पार्किग के चलते शाम को निकलने की स्थिति नही.

एल टी तिराहा- राजकीय पुस्तकालय के पूर्व पुस्तकालयाध्यक्ष द्वारा पुस्तकालय भवन और सड़क को मिला कर कटरा. तीन बड़ी दुकानो द्वारा अतिक्रमण से सड़क हुई सकरी.

(पंचकोसी रोड के बारे मे कल....)

रविवार, 23 जून 2013

तालाब, पार्क नहीं यहां तो नदी पर हो गया है अतिक्रमण

तालाब, पार्क नहीं यहां तो नदी पर हो गया है अतिक्रमण





  • मोरवा नदी के करीब 300 मीटर क्षेत्र पर कर लिया गया है कब्जा, 
  • जिलाधिकारी आवास के बाउंड्री से होकर गुजरी है मोरवा नदी, 
  • करीब एक दशक पूर्व हुआ था डीएम आवास का निर्माण, 
  • कार्यदायी संस्था व इंजीनियरों के कार्य पर सवाल

तालाबो पर कब्जे की बात तो आपको अखबारों में पढ़ने को मिल जाती हो लेकिन किसी नदी पर कब्जे की बात शायद किसी ने सुनी हो ,लेकिन उत्तर प्रदेश के  भदोही में कुछ ऐसा ही वाकया  सामना आया है।  देश में अपने तरह का पहला मामला है जब नदी को ही अपनी चहारदीवारी के अन्दर कर लिया गया है, 1994 में भदोही को जिला बनने के बाद जनपद में जिलाधिकारी के लिए एक बड़े आवास  की जरूरत पड़ी मुख्यालय के बगल में ही इसका निर्माण कराया गया,  उसी के पास से प्रवाहित हो रही मोरवा नदी को जिला अधिकारी के अवास के अन्दर ले लिया गया हालांकि यह कार्यदायी संस्थायो ने लगभग 10 वर्ष पूर्व किया होगा तबसे से लेकर अब तक  15 से अधिक जिला अधिकारी उस आवास में रह चुके हैं लेकिन किसी का ध्यान  भी इस ओर नहीं गया  मोरवा नदी सरपतहां आदि गांव से होते हुए आगे जाकर वरूणा नदी में मिल गई है। सरपतहां तक तो मोरवा नदी स्वच्छंद रूप में गुजरी है। लेकिन आगे जाकर जिलाधिकारी आवास के चहारदीवारी में कैद कर ली गई है। करीब 300 मीटर से अधिक लंबा नदी का क्षेत्र डीएम आवास की चहारदीवारी में कैद है। चहारदीवारी से होते हुए हुए नदी बाहर निकलती है।
   भारतीय संविधान और केन्द्रीय रिवर बोर्ड अधिनियम कहता है कि किसी भी प्राकृतिक संपदा नदी, तालाब आदि पर कब्जा नहीं किया जा सकता है। बावजूद जबकि कानून किसी भी नदी के क्षेत्र को किसी आवास के चहारदीवारी के अंदर नहीं मिलाया जा सकता है। जिस कार्य संस्था और इंजीनियरों की टीम ने आवास का निर्माण कराया, उन्होनें आखिरकार कानून का ख्याल क्यों नहीं रखा। यही नहीं अब तक कई जिलाधिकारी जिले में आए और गए। उनकी भी नजर आवासीय परिसर में कैद नदी पर नहीं पड़ी।
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    इसी  जनपद के उगापुर गांव के वाद पर सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय से पुरे देश में तालाबो ,पोखरांे आदि के संरक्षण में तेजी आई इस निर्णय ने देश के तालाबो पोखरों को जल संरक्षण का आधार  माना उसे संरक्षित करने उसे बचाने  का आदेश सरकार को दिया ,इस निर्णय ने तालाब पोखरों पार्कों पर अवैध कब्जा हटाने का अधिकार भी दे दिया ,लेकिन इसी से लगभग आठ किलोमीटर दूर जनपद की प्रमुख नदी मोरवा पर ही कब्जा कर लिया गया , कब्जा भी जिसने किया उसी को सरकार ने इसके संरक्षण की  करने की जिम्मेदारी भी सौंप रखी थी
पिचले 10 वर्षों  से ज्यादा समय से यही स्थिति बनी रही किसी सरकारी संस्थान की नजर इस ओर नहीं गया न ही पर्यावरणविद को नदी जल संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनो पर नजर  रखने के लिए अनेक सरकारी संस्थाए काम  करती हैं, लेकिन किसी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई ये सरकारी कार्यप्रणाली का इससे अच्छा सबुत नहीं हो सकता है हालांकि कुछ लोग मानते है की मामला जिलाधिकारी आवास से जुड़ा हुआ है इसलिए किसी संगठन खबरनवीस , सरकारी अधिकारी की हिम्मत नहीं पड़ी हो , उप जिलाधिकारी ज्ञानपुर रत्नाकर मिश्रा का
 यहाँ बयांन  भी आपने आप पुष्टि करता है जब उनसे नदी कब्जे की बात पर वह इसे गलत बताते है लेकीन  जब जिलाधिकारी आवास की बात बताई गयी तो उनके बयान किस तरह से बदला गए  


जिलाधिकारी के रूप में तैनात हुए चंद्रकांत पाण्डेय से

अभी हाल में ही जनपद में जिलाधिकारी के रूप में तैनात हुए चंद्रकांत पाण्डेय से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया और कहा उन्हें आये एक-दो दिन ही हुए और इस मामले को  देखंेगे  नवागत जिलाधिकारी ने नदी अतिक्रमण को लेकर कार्रवाई के प्रति अपनाने की बात दिखाई पड़ती है।


वरुण बचाओ अभियान के संयोजक व्योमेश इस-

 पर अपनी टिप्पणी दी की नदी, तालाब आदि के संरक्षण के लिए सरकारें व न्यायालय विशेष सख्ती बरत रही है। बावजूद इसके अतिक्रमण जारी है। तालाब व पार्कों पर तो अतिक्रमण व अवैध कब्जा की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। लेकिन किसी नदी पर कब्जा कर लिया गया हो, ऐसा मामला अभी तक सामने नहीं आया था।


           जनपद के ओमप्रकाश पाल का कहना है

कि इस आवास और इसकी जमीन अधिगृहित कर पूरे निर्माण के दौरान स्वीकृति के लिए तमाम रास्ते तय किए होंगे। तमाम वरिष्ठ अधिकारी और शासन के स्तर से  आवास के लिए नक्शा आदि की भी स्वीकृति ली गई होगी ऐसे में इस प्रकार नदी को कब्जे में लिया गया वो लचर सरकारी कार्य प्रणाली का सबसे बड़ा सबूत


सामाजिक सरोकारों से रूचि रखने वाले पर्यावरण मामलों के जानकर और अधिवक्ता संतोष गुप्ता-
 

का का कहना है नदी, तालाब सार्वजनिक संपत्ति है। इस पर किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा कब्जा नहीं किया जा सकता है। इस पर कब्जा करने या इसे बाउंड्री में मिलाने का अधिकार किसी को नहीं है। भारतीय संविधान में इस बात का उल्लेख है कि किसी भी प्राकृतिक संपत्ति पर कोई भी व्यक्ति या संस्था कब्जा नहीं कर सकता है। राज्य सरकार को संपत्तियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। 133 सीपीआरसी में उल्लेख है कि जिलाधिकारी व मजिस्ट्रेट प्राकृतिक संपत्ति की सुरक्षा करें। अगर कब्जा व अतिक्रमण की जानकारी मिले तो कार्रवाई करें।




क्या कहते हैं एसडीएम

इस संबंध में उपजिलाधिकारी ज्ञानपुर रत्नाकर मिश्र से पूछा गया तो उन्होनें ने कहा किसी नदी, तालाब या जलाशय पर कब्जा नहीं किया जा सकता है। उसे अपने बाउंड्री के अंदर नहीं मिलाया जा सकता है। लेकिन जिलाधिकारी आवास के बाउंड्री से होकर बुजरी मोरवा नदी के बारे में पूछने पर गोलमोल जवाब दिया। कहा कि बाउंड्री के अंदर नदी भले है, लेकिन उसके स्वरूप वही है। स्वरूप् से छेड़छाड़ नहीं हुआ है। इसलिए बाउंड्री के अंदर मिलाया जा सकता है।


वरुणा  नदी 

वरुणा  नदी भदोही जनपद की ३२ किलोमीटर लम्बाई  तय करती वाराणसी के छोर से इलाहबाद के सीमा तक सफर तय करती है  जनपद के 155 वर्ग किमी परिक्षेत्र में फैली है यह नदी वरुण और गंगा की सहायक नदी है मोरवा नदी कारी गांव से निकली है जो कसिदहां, नथईपुर,मूसी, जोगीपुर, सरपतहां आदि गांव से होते हुए आगे जाकर वरूणा नदी में मिल गई है।

क्या कहता है कानून

1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51क के तहत प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह प्राकृतिक संपदा नदी ,तालाब आदि का संरक्षण करे।
2. अनुच्छेद 48क के तहत राज्य का कर्तव्य है कि वह प्राकृतिक संपदा की रक्षा करे।
3. 133 सीआरपीसी के तहत जिलाधिकारी व मजिस्ट्रेट को यह शक्ति प्रदान की गई है कि उन्हें सूचना मिले या वे निरीक्षण के दौरान किसी नदी, तालाब पर कब्जा है तो उसे तत्काल हटवाएं। डीएम व मजिस्ट्रेट को अतिक्रमण हटवाने का पूरा अधिकार है।
4. नदी के धारा या भूमि पर कोई ऐसा अवरोध नहीं लगाया जा सकता जिससे उसका उपयोग करने में जन सामान्य को परेशानी हो।
5. चहारदीवारी बनाकर किसी नदी के जल को अवरूद्ध नहीं किया जा सकता है।
6. नदी या तालाब का निजी तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।


फोटो गूगल मैप कर रहा है पुष्टि 

ग्ूगल मैप में देखने में साफ-साफ पता चल रहा कि मोरवा नदी को लिाधिकारी आवास परिसर में कैद किया गया है। नदी आवास के बाउंड्री के अंदर से गुजरी है। स्थिति स्पष्ट हो सके, इसके लिए तस्वीर को ग्राफिक्स के जरिए स्पष्ट किया गया है। लाल रंग की दिख रही लाइन मोरवा नदी है। वहीं नीले रंग की लाइन जिलाधिकारी आवास की बाउंड्री है। ग्राफिक्स देखने के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि मोरवा नदी का कितना लंबा क्षेत्र जिलाधिकारी आवास के परिसर से गुजरा है।

गुरुवार, 20 जून 2013

लगभग दो माह बीतने के बाद भी शिवपुर वाराणसी की की पुलिस द्वारा मुक़दमा अपराध संख्या 86/2013 धारा 419/420/467/468/471 IPC में दर्ज ऍफ़ आई आर पर कोई कार्यवाही न करने और दोषी को गिरफ्तार न किये जाने के सम्बन्ध में


माननीय पुलिस महा निदेशक  महोदय,

            मै प्रार्थी व्योमेश कुमार श्रीवास्तव चित्रवंश , एडवोकेट  मुक़दमा अपराध संख्या 86/2013 अंतर्गत धारा419/420/467/468/471 थाना शिवपुर वाराणसी का मुक़दमा वादी हूँ . उक्त मुक़दमा सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव पुत्र स्व० गणेश लाल निवासी म०न० शिव 3/18 B-1K-2P शारदा विहार कालोनी , मीरापुर बसही  थाना शिवपुर  जिला वाराणसी   के विरुद्ध शिवपुर थाने की जाली मुहर और थाने  के दरोगा उदय प्रताप सिंह के फर्जी हस्ताक्षर बना कर एक कूट रचित आख्या का प्रयोग माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में प्रकीर्ण दांडिक प्रार्थना पत्र  संख्या 14766 सन 2012 सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव प्रति उत्तर प्रदेश राज्य  अंतर्गत धारा  482 द०प्र०स० में शपथ पत्र पर संलग्नक  संख्या 9 पृष्ठ संख्या 56-59 के रूप में दाखिल किया गया . पुनः उसी कूट रचित आख्या  को  माननीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अधीक्षक महोदय के  में शिकायती  पत्र संख्या  CST/RTR 876  सन 2012  में भी संलग्नक के रूप में प्रस्तुत किया गया . इस सम्बन्ध में कई बार थाना शिवपुर से लेकर माननीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय के कार्यालय   में  मुझ प्रार्थी द्वारा एवं  दि   सेन्ट्रल बार एसोसिएसन वाराणसी  के  माध्यम से पत्र प्रेषित किये जाने  के बावजूद कोई   कार्यवाही नहीं हुई .

               अंततः    माननीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अधीक्षक महोदय को   ई मेल दिनांक 17 अप्रैल 2013 को  भेजे  जाने पर उनके आदेश से थाना शिवपुर में उक्त मुक़दमा दोषी के विरुद्ध  दिनांक 20 अप्रैल 2013 को पंजीकृत किया गया .

            परन्तु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि  शिवपुर थाना पुलिस इस सम्बन्ध में आज तक उदाशीन है और अभी तक  शिवपुर थाना पुलिस द्वारा इस फर्जीवाड़े के दोषी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गयी   .अभी तक इस सम्बन्ध में मुझ प्रार्थी  का बयान  तक नहीं अंकित किया गया है . दोषी व्यक्ति अजमानतीय और आजीवन कारावास तक के धाराओ  के दोषी होने के  खुले आम घूम रहा है, और मुझ प्रार्थी पर बार बार मुक़दमा  वापसी  के लिए दबाव   बनाते हुए धमका  रहा है.   ऐसे में आरोपित व्यक्ति द्वारा मेरे साथ  भी कोई अनहोनी की जा सकती है. 
        आरोपी व्यक्ति एक  आपराधिक प्रकृती  का व्यक्ति है वह  पूर्व में भी थाना मंडुआडीह वाराणसी से मु०अ०स०114सन 1982  अंतर्गत धारा 420 IPC राज्य प्रति शिव प्रताप व् अन्य में आरोपित रहा है. साथ ही साथ वह  थाना कैंट  वाराणसी से मु०अ०स० 313सन1988अंतर्गत धारा323/504 IPC व्  मु०अ०स०64सन1998 में आरोपित रहा है. उसके इसी तरह के  आचरण पर उसे कृषि विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा दिनांक 18-07-1979 को सेवा से पृथक कर  दिया गया था, बाद में भी उसे कई बार विभाग से प्रतिकूल प्रविष्ठी  और निलंबित किया गया था, उसके साथ गांठ आपराधिक लोगों से है  वह प्रार्थी के साथ कोई भी घटना करीत करा सकता है. 

          जबकि थाना शिवपुर द्वारा जानबूझ कर इस तरह के आपराधिक व्यक्ति को न तो आज दो माह  बीतने के पश्चात भी न तो गिरफ्तार किया गया न ही मुकदमें में कोई अग्रिम कार्यवाही ही की गयी .जब की मुकदमे से सम्बंधित सभी आवश्यक अभिलेख थाना शिवपुर और  वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक  कार्यालय से सम्बंधित और उपलब्ध है . ऐसे में थाना शिवपुर के  मंशा पर सवाल उठाना स्वाभाविक है. 
                 जब कि  माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा इस प्रकरण में क्रि ० मि ० रिट  संख्या 11563 सन 2013में अभियुक्त उपरोक्त  की याचिका दिनांक 6-6-2013 को याचिका में हस्तक्षेप न करने की आवश्यकता न  हुए पाते  हुये ख़ारिज की जा चुकी है.  माननीय उच्च न्यायलय का  निर्णय निम्न है 

 Court No. - 21
Case :- CRIMINAL MISC. WRIT PETITION No. - 11563 of 2013

Petitioner :- Surendra Kumar Srivastava
Respondent :- State Of U.P. And 2 Others
Counsel for Petitioner :- Taru Ropanwal,Abhishek Srivastava
Counsel for Respondent :- Govt. Advocate

Hon'ble Arun Tandon,J.
Hon'ble Manoj Kumar Gupta,J.

Supplementary affidavit has been filed today. It is taken on record.
Heard the learned counsel for the petitioner and the learned AGA.
This writ petition has been filed by the petitioner for quashing the FIR dated
20.4.2013 in case crime no. 86 of 2013 under sections 419, 420, 467, 468, 471
IPC, PS - Shivpur, District - Varanasi. 
From the perusal of the FIR, it appears that on the basis of the allegations made
therein the prima facie cognizable offence is made out. There is no scope of
interfering in the FIR. Therefore, the prayer for quashing the FIR is rejected.

The writ petition is dismissed.
 
(Manoj Kumar Gupta,J.)    (Arun Tandon,J) 

अतः  माननीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अधीक्षक महोदय से प्रार्थना है कि  उक्त मुकदमे की विवेचना किसी उछाधिकारी से करवाने और दोषी व्यक्ति को तत्काल गिरफ्तार किये जाने हेतु आदेश  करे ताकि प्रार्थी के साथ कोई अनहोनी न हो. 

 प्रार्थी 
व्योमेश कुमार श्रीवास्तव चित्रवंश , एडवोकेट

--  VYOMESH K.S.CHITRAVANSH,
Advocate
Dr. Rajendra Prasad Adhivakta Bhawan
Collectrate Court ,Varanasi -221002 India
Cell. 9450960851; 9198193851

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

वाराणसी पुलिस स्वयं के साथ हुए जालसाजी और फर्जीगिरी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर पा रही


आदरणीय मिश्र जी ,
सर्वप्रथम आप को वाराणसी पुलिस को  आम जन तक पहुचाने के लिए बधाई,
आप के कार्यों से हमें विश्वास है कि आने वाले दिनों में हमें  वाराणसी पुलिस का सकारात्मक सहयोग मिलेगा .
परन्तु आप यदि पुलिस कार्यालय की कार्य प्रणाली और व्यवस्था पर भी ध्यान ध्यान दें तो परिणाम शीघ्र और आशातीत मिलेंगे .

मैंने आप के संज्ञान में आप के कार्यालय की एक कार्यप्रणाली का उदहारण देता हूँ .

                                       मै वाराणसी जनपद न्यायालय में अधिवक्ता हूँ  और शिवपुर थाने के एक मुकदमे राज्य प्रति साहबलाल और क्रास केस रामनाथ प्रति सुरेन्द्र में रामनाथ का अधिवक्ता हूँ, इस मुक़दमे के सम्बन्ध सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव द्वारा मुझे कई बार मुकदमे से हटने की धमकी दी गयी, बाद में उक्त सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने थाना शिवपुर के दरोगा उदय प्रताप सिंह  के फर्जी हस्ताक्षर कर के एवं थाना शिवपुर की नकली मुहर बनवा के एक कम्पूटर  टाइप आख्या  माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में प्रकीर्ण आपराधिक प्रार्थना पत्र संख्या 14766 सन 2012 सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव प्रति उत्तर प्रदेश सरकार अंतर्गत धारा 482 द०प्र०स०  में शपथ पत्र पर सलाग्नक संख्या 9 पृष्ठ संख्या 56 -59  के रूप में दाखिल किया , पुनः वही  फर्जी व् जाली आख्या आपके कार्यालय में शिकायती पत्र संख्या सी एस टी /आर टी आर 876/12  दिनांक 6 अक्तूबर 2012 में सलग्नक रूप में प्रस्तुत किया गया . मुझे इस तथ्य की आधिकारिक जानकारी होने पर  मैंने जनसूचना के माध्यम से उक्त आख्या के सम्बन्ध में आपके कार्यालय से सूचना माँगा, जिसके सम्बन्ध में मुझे सहायक जन सुचना अधिकारी / क्षेत्राधिकारी  कैंट द्वारा पत्रांक ज०सू०अ०298/2012 दिनांक28अगस्त 2012 के माध्यम से दरोगा उदय प्रताप सिंह के हस्तलिखित आख्या  एवं हस्ताक्षर की प्रति उपलब्ध करते हुए यह जानकारी दी गयी की कथित  कम्पूटर  टाइप आख्या न तो शिवपुर  थाना से सम्बंधित है न ही  उदय प्रताप सिंह द्वारा निर्मित है .
         उक्त जन सूचना प्राप्त होने के पश्चात मैंने सेन्ट्रल बार एसोसियेशन के माध्यम से  समस्त तथ्यों सहित आपके कार्यालय को CBA/21/2012 दिनांक6-11-2012को  प्राप्ति संख्या 4 दिनांक 06-11-2012पर उपलब्ध करते हुए ये प्रार्थना किया की इस तरह के फर्जी आचरण एवं पुलिस की मुहर  व् हस्ताक्षर का गलत व् जाली प्रयोग करने के  लिए दोषी सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही किया  जाय .
        श्रीमान  पुलिस महा निरीक्षक वाराणसी महोदय ने भी मेरे प्रार्थना पत्र पर  कार्यवाही करते हुए जनसूचना  वी जेड - ज०सू०अ०-114/2012/8814 दिनांक 17 नवम्बर 2012 के माध्यम  से मुझे सूचित किया है की मेरे प्रार्थना पत्र पर वरिष्ठ पुलिस  अधीक्षक  वाराणसी को पत्र संख्या वी जेड - शि ० प्र ० -वाराणसी 1191-1247/2012दिनांकित 03-11-2012 के माध्यम से क्रमांक 1246पर जाँच एवं कार्यवाही हेतु आदेशित किया गया है .
 परन्तु दुर्भाग्यतः आपके कार्यालय द्वारा समस्त अभिलेख एवं प्रमाण उपस्थित होने के बावजूद  किन परिस्थितिवश  इस तरह के फर्जीगिरी और जालसाजी के आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं की जा रही है , मेरे समझ से परे है. 
और ऐसे में ये सवाल उठाना स्वाभाविक है की जब वाराणसी  पुलिस स्वयं के साथ हुए जालसाजी और फर्जीगिरी के विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर पा रही  है तो हम  आम नागरिक कैसे उस से अपने  विरूद्ध होने वाले जालसाजी और धोके की शिकायत कर न्याय की उम्मीद कर  सकेंगे ?